ना मोहब्बत ना दोस्ती केलिये
वकत्त रुक्ता नही किसी केलिये
दिल को अप्ना सज़ा न दे युऩ ही
इस ज़माने की बेरुखी केलिये
कल़ जवानी का क्या हशर क्या होगा
सोच ले आज दो घडी केलिये
हर कोइ प्यार डुण्ड्ता है यहा
अप्नी तन्हा सी ज़िन्दगी केलिये
वकत्त के साथ साथ चल्ता रहे
यही बहत्तर है आदमी केलिये
ना मोहब्बत ना दोस्ती केलिये
वकत्त रुक्ता नही किसी केलिये
- Jagjit Singh
(Its difficult to type it right in Hindi. So for any purists,take a hike!)
Update:I also realized that depending on what Unicode font is installed, the font may show some mistakes....
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